जयपुर । राजस्थान की पहली महिला बॉडीबिल्डर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल जीतकर प्रदेश का नाम रोशन करने वाली प्रिया सिंह मेघवाल से आखिरकार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुलाकात की। अनुसूचित जाति वर्ग के निवेदन के बाद गहलोत ने मुख्यमंत्री आवास पर प्रिया सिंह का शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया ।

लेकिन उन्होंने दूसरे खिलाड़ियों की तरह प्रिया सिंह की मदद का कोई ऐलान नहीं किया ।जबकि पूर्व इस तरह के मेडल जीतने पर खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी, आवास और 3 करोड रुपए की आर्थिक मदद सरकार की तरफ से की गई है। आखिरकार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को प्रिया सिंह के मामले में इतना विचार क्यों करना पड़ता है, यह विचारणीय विषय है। मुख्यमंत्री की इसी उहापोह की स्थिति के कारण अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों में नाराजगी है । लोगों का कहना है कि यदि सोशल मीडिया और मीडिया में प्रिया सिंह की उपेक्षा की खबरें नहीं आती तो, राजस्थान सरकार प्रिया सिंह को शायद याद भी नहीं करती। ऐसे में मुख्यमंत्री को खुद प्रिया सिंह के मान सम्मान के लिए ऐलान करना चाहिए था ।जिसकी वह हकदार है । लेकिन ऐसा नहीं करके ,उन्होंने गेंद सामाजिक न्याय मंत्री के पाले में डाल दी, जिनके हाथ में कुछ भी नहीं है। दलित वर्ग के लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री यह भूल गए कि सोशल मीडिया का जमाना है और यह बातें छुपती नहीं ह नहीं है लोग सब समझते हैं और समय आने पर हिसाब किताब भी पूरा करते हैं

मुख्यमंत्री ने टीकाराम जूली को मदद के दिए निर्देश

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रिया सिंह को शॉल ओढ़ाकर सम्मान तो कर दिया ,लेकिन सरकार की ओर से किसी तरह की इनाम या प्रोत्साहन राशि यह सरकारी नौकरी की घोषणा नहीं की है। उन्होंने इसके लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली को जिम्मेदारी दी है ।टीकाराम जूली ज्यादा से ज्यादा ₹500000 तक के इनाम की घोषणा कर सकते हैं । इसके लिए उन्हें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ही अनुमति लेनी पड़ेगी । इससे ज्यादा करने पर उनको जातिवाद के आरोप भी लग सकते हैं । जबकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पूर्व में खिलाड़ियों को दिए गए प्रोत्साहन राशि स्वरूप ₹30000000 नगद ,जयपुर में आवास और सरकारी नौकरी की घोषणा कर सकते हैं । राजस्थान के खेल मंत्री की सिफारिश पर भी मुख्यमंत्री यह घोषणा कर सकते हैं । लेकिन टीकाराम जूली क्योंकि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री है, ऐसी स्थिति में वे सिर्फ 500000 तक की ही मदद कर सकते हैं। वे भी प्रिया सिंह के सिर्फ अनुसूचित जाति वर्ग की होने के कारण। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को खुद आगे आकर प्रिया सिंह की मदद का ऐलान करना चाहिए था। उचित मान सम्मान देना चाहिए था जिसका सभी को इंतजार है। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं करक दलित वर्ग की नाराजगी कहीं न कहीं मोल ले ली

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